आपको आज हम एक ऐसी खबर लेकर चर्चा करेंगे जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे.एक गांव में पहलवान रहता था और वह अपने इलाके का काफी मशहूर पहलवान माना जाता था.उसकी एक ही बेटी थी उसने बहुत ही लाडो प्यार से अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया.बेटी बड़ी हुई उसकी शादी की फिक्र हुई वह खुद पहलवान था इसलिए उसने अपनी बेटी के लिए दूल्हा भी पहलवान ही ढूंढा. बाप ने उसकी शादी करके उसको विदा कर दिया.

बेटी को विदा किए 1 सप्ताह नहीं गुजरा था पहलवान दमान ने बेटी को मारपीट करके निकाल दिया. इसे घर का कोई काम नहीं आता बाप बहुत परेशान हुआ.लेकिन किसी को कुछ नहीं बताया. अपनी बीवी से कहा इसको तमाम काम सिखाओ. बेटी को झाड़ू,पोछा,खाना पकाना सब कुछ सिखा दिया.कुछ महीने के बाद सब सुलह हो गई मामला ठीक हो गया. पिता ने अपने दामाद को बुलाकर माफी मांगी और अपनी बेटी को फिर से विदा कर दिया.

6 महीने भी नहीं गुजरे थे उसने फिर बेटी को मारपीट करके वापस मायके भेज दिया इसे तो सिलाई का काम भी नहीं आता.पहलवान फिर बहुत परेशान हो गया अपनी बीवी से कहा इसे सिलाई का काम सिखाओ उसे सिलाई कढ़ाई तक पूरा काम सिखाया फिर दमाद को बुलाया अपनी गलती की माफी मांगते फिर से उससे उसके ससुराल भेज दिया.बेटी को रुखसत हुए फिर कुछ ही महीने गुजरे तो बेटी से फिर मारपीट की और वापस मायके भेज दिया.इसको तो खेत में काम करना भी नहीं आता गाय भैसों का दूध निकालना भी नहीं आता.पहलवान को बहुत दुख हुआ और उसके समाज में बड़ी इज्जत थी.इसी कारण से बेटी का पिता खामोश रहा है इस बार उसने किसान के पास जाकर बेटी को खेती बाड़ी का काम भी सिखा दिया. फिर एक बार उससे उसके ससुराल भेज दिया बेटी रोती हुई वापस आ गई.बाप ने बेटी से सवाल किया बेटी इस बार क्या हुआ वह कहने लगी मेरा पति कहता है आटा गूंगते हुए हिलती बहुत है.पहलवान को अब सारी बात समझ में आ गई असल में दमाद को रौब जमाने और मारने की आदत पड़ चुकी है.तब पिता ने कहा बेटी मैंने तुम्हें सब कुछ सिखा दिया लेकिन यह नहीं सिखाया तू बेटी किसकी है.बेटी हैरान हो गई लेकिन उसको कुछ समझ में नहीं आया कुछ दिन गुजरने के बाद दमाद को एहसास हुआ इस बार ना तो ससुर ने माफी मांगी ना ही बेटी को वापस भेजा. खैरो खबर लेने ससुराल गया पहलवान ने दरवाजे पर रोक लिया कहा जैसे आए हो वैसे वापस चले जाओ आज की तारीख याद रख ले.पूरे 2 साल बाद आना अपनी बीवी को ले जाना इससे पहले मुझे नजर आया तो तेरी टांगे तोड़ कर वापस भेज दूंगा. दमाद शर्मिंदा होकर वापस चला गया.दिन गुजरते गए पहलवान ने अपनी बेटी को सुबह अंधेरे में खेतों में ले जाता सूरज निकलने पर घर भेजता बीवी ने बार-बार पूछा लेकिन राज नहीं खोला गया. 2 साल का समय पूरा हुआ दामाद बेटी को लेने आया बाप ने खुशी-खुशी बेटी को रुखसत कर दिया.कुछ ही समय गुजरा पहलवान दमाद आदत से मजबूर उसने चिल्लाना शुरू कर दिया मारने के लिए हाथ उठाया जैसे ही बीवी ने किसी मंजे हुए पहलवान की तरह पति को बाजू से उठाकर जमीन पर पटक दिया. कहां तू जानता है मैं बेटी किसकी हूं समझ तो आप भी गए होंगे कि इस बार 2 साल में बाप ने बेटी को क्या सिखा कर भेजा. और उसके बाद दमाद ने दोबारा अपनी बीवी से कभी ऊंची आवाज में बात नहीं की.बाप ने बेटी को क्या सिखाया है यह तो आप भी अब जान गए होंगे. हर चीज मां के सिखाने की नहीं होती.कुछ बातें कुछ विश्वास बेटियों में सिर्फ पिता ही लाते हैं.