सपनों की चाहत को पूरा करने के लिए अक्सर ही कुछ बलिदान देना पढ़ते हैं और जब अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने की बात हो तब बच्चे उससे ज्यादा कुछ भी नहीं महत्वपूर्ण समझते.केवल माता पिता की आज्ञा को मानना और उस सपने को पूरा करना ही अपना लक्ष्य बना लेते हैं.इन दिनों युवाओं में यूपीएससी की परीक्षा के लिए काफी ज्यादा झुकाव देखने को मिल रहा है. यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे मुश्किल परीक्षा है. इसीलिए यह परीक्षा तीन चरणों में होती है पहला चरण प्रारंभिक परीक्षा दूसरा मुख्य परीक्षा और तीसरा साक्षात्कार.

और अगर उम्मीदवार ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास कर ली साक्षात्कार में फेल हो गया तो वह व्यक्ति दोबारा से पहले चरण से शुरू करेगा. यही कारण है व्यक्ति बार-बार फेल होने के बाद इस परीक्षा से हतोत्साहित होने लगता है. कई बार युवा क्षेत्र में भविष्य बनाने की उम्मीद छोड़ देते हैं और अपना रास्ता बदल लेते हैं. लेकिन कई बार फेल होने के बाद भी इस परीक्षा को अपना जीवन मानते हैं और लगातार परिश्रम करते रहते हैं.

लेकिन यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने के लिए अपनी सुख-सुविधाओं घर के आराम को छोड़कर माता-पिता से दूर रहकर कमरे में बंद होकर पढ़ाई करते हैं और संघर्ष में लगे रहते हैं.एक ऐसी बेटी जिसने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए 5 वर्ष तक अपने परिवार से दूर रही.पढ़ाई कर के IAS आईएएस अधिकारी बनने पर घर लौटी. भारत देश के अंतर्गत आने वाला हरियाणा राज्य का पानीपत जहां एक आईएएस अधिकारी मधुमिता का जन्म हुआ. मधुमिता हरियाणा में जन्मी है. लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली से कि मधुमिता आईएएस अधिकारियों में है. जिन्होंने अपने जीवन को इतना संघर्ष किया और सफल हुई.आपको बता दें मधुमिता ने अपने छोटे भाई बहन जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. उन्हें सलाह देते हुए कहा यूपीएससी की तैयारी शुरू करने से पहले अपने चारों तरफ सकारात्मक माहौल बना लें. इसके बाद पढ़ाई की रणनीति तैयार करें. सबसे पहले यूपीएससी के सिलेबस को अच्छीतरह पढ़ ले उसके अनुसार ही अपनी पढ़ाई करें. इससे लिखने की भी आदत तो पड़ेगी और करेक्शन भी होता जाएगा.जानकारी के लिए बता दें मधुमिता ने वर्ष 2019 में आईएएस अधिकारी बनी. इससे पहले उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 2 प्रयास किए थे. पहले प्रयास में वह इंटरव्यू तक पहुंची.दूसरे प्रयास में भी आईएएस अधिकारी बन गई. व्यक्ति के हार ही उसे बहुत कुछ सिखाती है इसलिए असफलता से घबराना नहीं इसे स्वीकार कर आगे बढ़ना ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है.