अगर हौसला हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता ऐसे ही कई बार देखने को मिलता है अगर किसी काम को करने के लिए हम अपना लक्ष्य साथ कर निरंतर प्रयत्न करते रहे तो हमें सफलता जरुर प्राप्त होती है.ऐसे ही अब एक रिक्शा चालक की बेटी जिसने गणित में गोल्ड मेडल हासिल किया अपने निरंतर प्रयास और अच्छे दिमाग होने के कारण काफी अच्छा प्रदर्शन किया गणित में उन्होंने में गोल्ड मेडल हासिल कर परिवार का नाम रोशन किया.

जानकारी के लिए बता दें मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में पिछले दिनों एक रिक्शा चालक की बेटी ने गोल्ड मेडल प्राप्त कर कमाल किया है. उनके पिता रिक्शा की फेरी लगाते हैं.बेटी ने गरीबी के हालात में और एक आंख की खराब रोशनी के कारण बीएससी गणित में गोल्ड मेडल हासिल कर सफलता प्राप्त की है. जैसे ही बेटी को राज्यपाल ने गोल्ड मेडल दिया उस रिक्शा चालक पिता की आंखे आंसू से भर गई.

यह खबर बुलंदशहर के गुवाहाटी की रहने वाली शमा परवीन की है. शमा ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से बीएससी गणित में कुलपति स्वण पदक हासिल किया है. मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में गणित की छात्रा से पहले जिला टॉपर रह चुकी है.जानकारी के लिए बता दें शमा परवीन ने कहा, ” उनके पिता जरूर फेरी लगाते हैं.लेकिन बेटी की इस सफलता ने परिवार की काफी उम्मीदे थी. उनका कहना है अपने भाई बहन में सबसे बड़ी हैं लिहाजा बड़ी जिम्मेदारी है उनपर”.

आपको बता दें शमा ने बताया उन्हें एक आंख से दिखता नही है.लोग उनपर ताने कस्ते थे. लेकिन वह इस बात से इत्तेफाक करती हैं. फिजिकल ब्यूटी नही इनर ब्यूटी जरूरी होती है.आपको बता दें शर्मा प्रवीन ने बताया वह आगे चलकर आईएएस बनना चाहती हैं.क्षमा का कहना है उनकी सफलता के पीछे उनके रिक्शा चालक पिता की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है और वही उनके नायक भी हैं.शमा परवीन के पिता यूनुस खान का कहना है वह रिक्शा चलाते हैं ईमानदारी की रोटी कमाते हैं.ईमानदारी की कमाई से वह पेट काटकर अपनी बेटी को आगे पढ़ाना चाहते हैं.पिता का कहना है बेटी की पढ़ाई के लिए उन्होंने कई चीजें गिरवी रखनी पड़ी है.उनका कहना है अपने बच्चों को जरूर पढ़ाना चाहिए.यूनुस खान का कहना है एक वर्ष की उम्र में उनकी बिटिया की आंख की रोशनी चली गई थी.लेकिन उन्होंने इस बिटिया के सपनों को उड़ान दिया. और इसी उड़ान से बिटिया आज आसमान छू रही है.सही कहा शमा परवीन जैसी बेटियों से आगे पढ़ने का हौसला मिलता है. क्योंकि कामयाबी सुविधाओं की मोहताज नहीं है.